
रितेश चौहान, पब्लिक फोकस धर्मपुर।
एक परिवार की तानाशाही से परेशान हो कर धर्मपुर की जनता ने जिस व्यक्ति पर विश्वास जताया था उसे शायद अब डिक्टेटर होने का शौक चढ़ा गया है। सियासी समंदर के भंवर में लगभग डूब चुके विधायक की नैय्या पार लगाने वाली धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र को दूर दूर तक खबर नहीं थी कि जिस परिवारवाद और तानाशाही से मुक्त होने के लिए वोट कर रहे हैं उससे उन्हें सही अर्थों में कभी मुक्ति नहीं मिलेगी। प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान द्वारा पांवटा साहिब में एसडीएम की कुर्सी पर विराजमान होने से सुक्खू सरकार की किरकिरी होने के तुरंत बाद धर्मपुर के कांग्रेसी विधायक ने भी यही प्रथा दोहराते हुए एसडीएम की कुर्सी पर बैठ कर अधिकारियों की क्लास लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। लकड़ी कांड में उलझे विधायक की सोच ने साबित कर दिया है कि वह जनता के लिए नहीं बल्कि अपनी ऐशो आराम और पारिवारिक विकास के लिए राजनीति में आए हैं। धर्मपुर के उपमंडलाधिकारी के कक्ष में कर्मचारियों की बैठक लेने पहुंचे विधायक एसडीएम धर्मपुर की कुर्सी पर विराजमान हो गए जबकि अतिरिक्त कार्यभार संभाले एसडीएम सरकाघाट को बगल में बैठना पड़ा। धर्मपुर में वादों की झड़ी लगाने वाले विधायक अभी तक कुछ बड़ा नहीं करा पाए हैं जबकि आम जनता की मानें तो मंत्री पद का टेस्ट लेने वाले धर्मपुर को चारों तरफ अंधेरा ही नजर आता है। लोगों में चर्चा है कि दो चार प्रधानों को छोड़ कर किसी भी पंचायत प्रधान के काम नहीं हो पा रहे हैं। विधायक ने बाकि प्रधानों को सरकार की नीतियों के साथ चलाने की कभी कोशिश ही नहीं की जो भविष्य में इनकी राजनीति के लिए आत्मघाती कदम समझा जा रहा है।
माकपा को अखरी विधायक की हरकत।
माकपा नेता भुपेन्द्र सिंह ने कहा कि धर्मपुर के विधायक द्वारा एसडीएम की कुर्सी पर बैठक आयोजित करना नियमों के विपरित हैं। क्यूंकि किसी भी अधिकारी की कुर्सी पर बैठना अपने आप में ही मर्यादाओं का उलंघन है। जन प्रतिनिधि की भूमिका एक निश्चित समय अर्थात पांच साल के लिए होती है लेकिन कोई भी प्रशानिक अधिकारी एक प्रक्रिया के तहत चयनित होता है और उसके लिए हर प्रकार की सेवा शर्तें तय होती हैं और उसमें बैठने के लिए कुर्सी भी एक होती है। लेक़िन धर्मपुर के विधायक जो भी शायद अपना रौव जताने के नजरिए से शायद ऐसा करने लगे हैं। हालांकि उनसे लोगों को जो उम्मीदें थीं उस पर तो वह खरा नहीं उतर पाए हैं और अब अधिकारियों की कुर्सी पर बैठ कर अपना रुतवा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं जो सही नहीं है। विधायक का रुतवा जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरने से ही बढ़ेगा न कि अधकारियों की कुर्सी पर बैठ कर और उन पर रौव झाड़ने से।
SDM उवाच, मेरे पंहुचने से पहले ही कुर्सी पर विधायक थे विराजमान।
धर्मपुर का अतिरिक्त कार्यभार संभाले एसडीएम स्वाति डोगरा ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस फोटो को लेकर पहले तो इसे दबाने की भरपूर कोशिश की उन्होंने कहा कि यह फोटो मीटिंग का हाल का है और पैरेलल एक कुर्सी लगी हुई थी फिर जब उन्हें बताया गया की फोटो एसडीएम के ही कमरे का है पीछे बोर्ड भी साफ दिख रहा है यही नहीं इसकी वीडियो भी मौजूद है तो उन्होंने कहा कि इस बैठक में मेरे पहुंचने से पहले ही विधायक और तहसीलदार कमरे में पहुंच चुके थे और मीटिंग शुरू हो गई थी वह सरकाघाट से बाद में ऑफिस पहुंची है तब तक विधायक सीट पर बैठकर बैठक शुरू कर चुके थे




